पहचान
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करवा चौथ का चाँद ये
उदासी आँगन में भर गया
सुहागन के हाथो में मेहँदी रचाते रचाते
उसके सुने हाथो को रंग गया
भरम था ये मेरा मैं खुश हूँ
फिर आज क्या ये हो गया
करवा चौथ के चाँद को देख
कुछ शूल सा दिल में चुभ गया
उसकी रुखी हंसी सुन
क्यूँ दिल यूँ मेरा रो दिया
आज फिर किसी मासूम का दिल
उदासी से है भर गया
चूड़ी भरी हाथो की खनक से
दिल उसका डूब गया
बिंदिया की चमक में,
सपनो का रंग सो गया
पायल की छम छम में
हंसी का संग खो गया
मधम सी चांदनी में
आंसुओ का बांध टूट गया
आज फिर किसी मासूम का दिल
उदासी से है भर गया
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