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“देश के लिए हर कोई सोचता है”

पहचान
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देश के लिए हर कोई सोचता है

मगर अपने किये से अंजान वो होता है

देता है दुहाई वो महँगाई की

मगर रोज रात को विदेशी वो पीता है

रहता है परेशान वो भ्रष्टाचार से

मगर अपनी ही मेज के नीचे से फाइल वो लेता है

करता है वो चिंता देश की

मगर देश का रुपया विदेशी ब्रांड में  खर्च वो करता है

हो रहा हैरान देख के आज का नौजवान

मगर अपने ही बेटे को महंगे मोबाईल/ बाइक वो देता है

करता है चर्चा वो भंग संसद के सत्र की

मगर अपनी ही टेबल से अनुपस्थिति वो रहता है

भ्रष्ट  नेताओं का नाम उसे मुख ज़बानी याद है

मगर कितनी फाइलों  को किया अब तक बेडा पार

उसका नहीं उसे ज्ञान है

नौकरी लगी थी क्लर्क की

उस गद्दी में आज  भी विराजमान है

मगर घर था तब उसका अब बँगला आलीशान है

बेटा नहीं है घर पे, बेटी पर भी कहाँ ध्यान है

पड़ोसी की बेटी हो गयी है जवान इसका इन्हें बहुत भान है

बड़ी ही हॉट  सेक्सी  वीडियो  डाउनलोड की  है आज

मगर बेटे के मोबाईल में उससे भी हॉट वीडियो विराजमान है

देश के लिए हर कोई सोचता है

मगर अपने किये से अंजान वो  होता है

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