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हम – तुम

पहचान
पहचान
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ssboy
लड़का और लड़की समानता या श्रेष्ठा ये ऐसा विषय है जिसमे सभी लोग पड़ जाते है लड़के अपने को सब कुछ समझते है और लड़कियों   को कुछ भी नहीं और लड़कियों  का
भी यही हाल है वो अपने आगे किसी को श्रेष्ठ नहीं समझती | लड़कों ने कहा नहीं की चल तू लड़की है तू रहने दे हम कर लेंगे बस देखिये  वही वो कूद पड़ेगी |  मुझे रोक
कैसे दिया है इन से बेहतर तो मैं भी कर सकती हूँ,  बोल  कैसे दिया, रोक कैसे दिया  | अरे आप को कम नहीं आँका जा रहा न ही आप की क्षमता की बात हो रही है |

जितना दम  ख़म उन पहलवान लड़कियों में होता है उतना दम शायद एक सामान्य
लड़के में न हो मगर जरुरी नहीं की उतना दम हर लड़की में हो |

लड़का अपने विशेष गुणों के कारण अच्छा लगता है ताकत, सक्षम , विवेक कौशल, दूरदर्शिता हौसला वहीँ लड़कियाँ अपने गुणों  के कारण अच्छी लगती है नाजुकता,
समझ, व्यवहारकुशलता, सुक्ष्मदर्शिता , नम्र हृदय

हमेशा एक लड़के या पुरुष में चाहा जाता है वो बलशाली हो, आप उनके साथ सुरक्षित तभी महसूस करेंगी अगर आप के साथी  पुरुष में ताकत हो | सभी चाहते है लड़का

सक्षम हो (लड़कियाँ भी आज के दौर में सक्षम है मगर बिना लड़के के सक्षम हुए कोई भी माँ बाप या स्वयं लड़की भी नहीं चाहेंगी की लड़का कमाता न हो ) | विवेकी स्वभाव होना लड़कों में जरूरी है क्यूँ कि इतनी प्रतिस्पर्धा है समाज में शुरू से ही,  और अपने को बनाये रखना और तरक्की करना तभी संभव है जब बुद्धिविवेक  से सभी कार्य को अंजाम दिया जाये | दूरदर्शिता किस निर्णय से आगामी क्या परिणाम होंगे, तरक्की, सामंजस्य, ये सब आप की दूरदर्शिता पर ही निर्भर करता है| हौसला बड़े से बड़ा दुःख मुसीबत बिना जाहिर किये उससे से निकल जाना ये हौसला भी पुरुषों में होना स्वभाविक है और होना भी चाहिए |

वहीँ एक लड़की अपनी नाजुकता से सभी को आकर्षित करती है अपनी सूजबुझ से परिवार के सभी सदस्य का ख्याल रखती है | व्यवहारकुशलता से घर में मेहमानों की बीच , और समाज में अपना एक अलग मुकाम बनती है | हर बात हर चीज का सूक्ष्म निरिक्षण एक लड़की बहुत खूबी से करती है | नम्र ह्रदय तो एक महिला का विशेष गहना होता है सब को अपने में समाये हुए परिवार का सोचते हुए छोटे को समझाते हुए बड़ों को माफ़ करते हुए सिर्फ परिवार के लिए समर्पित किसी के भी दुःख में दुखी हर किसी की अच्छी कमाना करती हुई ऐसी ही तो होती है लड़कियाँ इन्ही गुणों के साथ वो अच्छी लगती है |

माहौल बदला है आज महिलाये घर में भी,  जॉब में भी,  समाज के साथ हर जगह सामंजस्य बैठा के चल रही है अब उनकी भूमिकाये बदल गयी है मगर फिर भी वो अपने
बदली हुई भूमिका को बखूबी निभा रही है |

मगर कुछ महिलाये और पुरुष भी अपनी खूबियों को भूल गए है | इस लड़ाई में की बेहतर कौन है | हमेशा एक ही  कोशिश में  कैसे एक दूसरे को निचा गिराया जाये क्या
तरकीब की जाये की सामने वाला अपनी हार मान ले |हार और जीत का तो कोई सवाल ही नहीं है | दोनों ही एक दूसरे के पूरक है | बिना सहयोग के कोई भी आगे नहीं बढ़
सकता |

अगर आप एक महिला है और इन सभी गुणों के साथ तो आप बेहतर है, और आप पुरुष है और अपने गुणों के साथ अपनी भूमिका को अच्छे से निभा रहे है तो आप बेहतर है
मगर महिलाये महिलाओ में बेहतर है और पुरुष पुरुषों में |

पर्वत अपनी विशालता और मज़बूती के लिए प्रसिद्ध है और नदी अपनी निर्मलता और निश्चलता के लिए | पर्वतों से निकली है उसी में समायी है उसी को भिगोती है और साथ ही
उसमे अपने निशान भी छोड़ देती है अपने अस्तित्व का निशान अपने प्रभाव का निशान | पर्वत अपनी  जगह अडिग है मगर नदी को सहारा दे उसी को आगे पहुँचता है |

अपने अहंकार को त्यागिये और पूरक बनिए एक दूसरे के एक दूसरे के बिना दोनों अधूरे है और एक दूसरे के सहयोग बिना भी | समूर्ण और बेहतर तभी बनेंगे जब एक दूसरे का
सम्मान और सहयोग करेंगे |
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और अंत में रमानाथ अवस्थी जी के लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ
जीवन कभी सूना न हो
कुछ मैं कहूँ, कुछ तुम कहो
तुमने मुझे अपना लिया
यह तो बड़ा अच्छा किया
जिस सत्य से मैं दूर था
वह पास तुमने ला दिया
अब जिंदगी कि धार में
कुछ मैं बहूँ, कुछ तुम बहो
जिसका ह्रदय सुन्दर नहीं
मेरे लिए पत्थर वाही
मुझको नयी गति चाहिए
जैसे मिले वैसे सही
मुझको बड़ा सा काम दो
चाहे न कुछ आराम दो
लेकिन जहाँ थककर गिरुं
मुझको वहीँ तुम थाम लो
गिरते हुए इन्सान को
कुछ मैं गहुँ कुछ तुम गहो
संसार मेरा मीत है
सौन्दर्य मेरा गीत है
मैंने अभी तक समझा नहीं
क्या हार है क्या जीत है
दुःख – सुख मुझे जो भी मिले
कुछ मैं सहूँ कुछ तुम सहो |

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