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कुछ संकल्प ले डालूं
गाड़ी को छोड़, पैदल चलना शुरू कर दूँ
और प्याज मुई को हाथ न लगाऊं
बच्चो का दाखिला सरकारी स्कूल में कर आऊं
फी भी उनकी माफ़ करावा दूँ
वैसे भी पढ़ते कम खेलते ज्यादा है
खेलो के द्वारा ही इनका भविष्य कुछ बना दूँ
इनका खेलना ही कुछ दूरगामी फल दे जाये
खेलो में ये गोल्ड नहीं तो रजत ही ले आये
चांदी के भाव भी तो चढ़ गए है मेरे भाई
नव वर्ष में रख लूँ बीबी का भी ख्याल
कर लूँ ख़त्म पुराने झगड़े तमाम
किसी सस्ती और अच्छी जगह से
साड़ी ही दिला दूँ चार
इसी बहाने खाना भी अच्छा मिलेगा
चाय में चीनी और सब्जी में नमक ही मिलेगा
मगर पत्नी हमारी पुरानी गाड़ी जैसी हो गयी है
बात बात में बिगड़ी ही वो रहती हैअगर वो गाडी होती तो बेच भी आता
उन पैसो से कुछ तो खर्चा चल जातामगर पत्नी का मान हमने बढ़ाना था
अपना पति धर्म भी तो निभाना थाकई दिनों से वो मुझ से खफा थी,
मनाने के नाम पर गोल्ड पर ही अड़ी थी
ये बीबी भी जीना हराम कर कर रही थी,
इससे तो अच्छा तन्हा ही कट रही थीसोच रहे हैं आता हुआ साल कुछ मिठास भरा हो जाये
लेकिन जेब में अब कुछ भी शेष नहीं है
गाजर के हलवे से कर लेते थे मुह मीठामगर अब न रहा उसका भी टेस्ट वैसा
मावा नहीं है अब खाने जैसा
असली घी में भी है सब नकली जैसा
क्या करे इस नए साल में
जेब भी न आने पाए भार में
दोस्तों को तभी फ़ोन मिलाया
उन्होंने सपरिवार घर आने का नयौता दे डाला
हम पहुंचे घर उनके श्रीमती जी के साथ
इंतजाम वहां का बड़ा ही खास था
हर शख्स के हाथ में जाम छलक रहा था
जाम के साथ था डांस भी क्या कमाल था
शीला अपने पुरे यौवन में थी
मुन्नियाँ भी पीछे थोड़े ही थी
बदनामी में वो सब को मात दे रही थी
इसी बात में बीबी हमारी कलप रही थी
बेहयाई कि वो दुहाई दे रही थी
घर चल कर देख लेंगे ऐसी धमकी
बीच बीच में दो चार वो दे रही थी
हम मौका चूकना नहीं चाहते थे
मगर घर जा कर पीटना भी नहीं चाहते थे
इसी लिए दिल में मलाल लिए विदा हम ले रहे थे
साथ ही श्रीमती के चेहरे में संतुष्टि के भाव भी देख रहे थे
घर पहुँच श्रीमती जी ने हम को
नववर्ष के उपलक्ष में हलवा है खिलाया
हमारे ख्यालो में चल रहे
जलवे को जोरो का ब्रेक लगाया
अब देते है अपने विचारों को विराम
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