पहचान
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मैं चुप रहूंगी
कह दूंगी तो हंगामा खड़ा करना इनका मकसद है
फिर से नया हंगामा खड़ा हो जायेगा
मैं चुप रहूंगी
कह दूंगी तो पल पल मरी हूँ हर बार मैं
इक बार फिर से मेरी मौत का प्रबंध हो जायेगा
मैं चुप रहूंगी
कह दूंगी तो किया है तार तार मुझे कई बार फिर से
विनाश का मंजर नजर आ जायेगा
मैं चुप रहूंगी
कह दूंगी तो जिन आँखों में खून है
पानी कहाँ से उतर पायेगा
मैं चुप रहूंगी
क्यूंकि सच सुनने की अब आदत नहीं
सच किसी को पसंद कहाँ फिर आएगा
मैं चुप रहूंगी
क्यूंकि इनके झूट के आगे सच कहाँ टिक पाया है
सच सुनने का हौसला सब में कहाँ से आएगा
मैं चुप रहूंगी
क्यूंकि आज तक सच जीता ही नहीं है इनके आगे
फिर आज लाखो झूट से कैसे जीत पायेगा
मैं चुप रहूंगी
क्यूंकि
मैं चुप रहूंगी
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