कहते है कि एक लड़की के लिए सुयोग्य वर ढूंढना सबसे मुश्किल काम है | लड़की के सयानी होते ही माँ बाप चिंता में घुलने लग जाते है | योग्य वर ढूंढते ढूंढते जूते चप्पल घिस जाने कि कहावत चरितार्थ होने लगती है | रातों कि नींद कब उड़ जाती है पता ही नहीं चलता | ऐसे ही हालात मैंने अपने घर में देखे जब दीदी के लिए मम्मी पापा अक्सर चिंतित हो कर बात किया करते थे और वो बात कब बहस और बहस कब लड़ाई का रूप इख़्तियार करती थी पता ही नहीं चलता था | लड़ाई तक इसलिए क्यूँ कि पापा जी सिद्धांतवादी हैं | नहीं चाहते कि दहेज़ दे कर बेटी के लिए दूल्हा ख़रीदा जाये मगर माँ का दिल तो माँ का ही होता है | बस वो जल्दी -से- से जल्दी प्यारी बेटी को उसके घर का कर देना चाहती थी | और ये सब बाते कब बहस और बहस से लड़ाई में तब्दील हो जाती थी पता ही नहीं चलता था हम बस इंतजार करते थे कि जब हमको इस बहस में एन्ट्री लेनी है मगर पापा के सिद्धांत भी अपनी जगह ठीक है और माँ कि चिंता करना भी| चलिए दीदी को तो योग्य वर मिल गया | माँ पापा की चिंता ख़ुशी में बदल गयी | इसी ख़ुशी के मौके पर कई परिचितों ने नयी चिंता उन को दे डाली कि ………………………………भाई साहब बेटी तो उसके घर की कर रहे हो अब बहु भी ले आईये, भाभी जी बेटी का सुख देखा है अब बहु ला कर राज कीजिये …………लीजिये बेटी कि चिंता से मुक्त नहीं हुए दूसरी चिंता सर पर आ कर खड़ी मुस्कुरा रही थी मगर ये इतनी बड़ी चिंता हमें प्रतीत नहीं हुई क्यूंकि लड़की ढूंढना हमें लगा टेढ़ी खीर नहीं होती जल्द ही इस बात का भी ज्ञान हो गया कि हम कितने गलत थे लड़की ढूंढना उतना ही मुश्किल था जितना के लड़का | लड़की ढूंढना एक अभियान कि तरह शुरू हो गया किसी परिचित ने एक रिश्ता बताया कि ……….बस भाईसाहब लड़की तो हीरा है ….घर भर देगी आप का पापा ने कहा दहेज दिया नहीं तो लेने का सोच के पाप का भागीदार नहीं बनना बस लड़की गुणवान चाहिए जिसके आने से घर स्वर्ग बन जाये बस भाईसाहब कोई नहीं वो तो लड़की का धन है आप धन रहने दीजिये लड़की बताइए कौन है ? कहाँ से है ? परिचित ने कहा इस रविवार चलिए सीधे मिलवा देते है ……………………नेकी और पूछ पूछ हम तैयार थे रविवार को उनके घर जाने के लिए उत्सुकता पूरी चरम पर थी कैसी होगी यही सब सोचते हुए उनके घर पहुँच गए ………………..हमें वहां पहुँच कर बहुत ज्यादा निराशा हाथ लगी क्यूंकि लड़की के पिता की सोच ऐसी लगी कि वो पैसो से सब कुछ खरीद सकते है | हम लोगो ने उन्हें साफ़ बता दिया कि हमारे लिए लड़की ही सबसे बड़ा दहेज़ है तभी कुछ महिलाओ के साथ एक लड़की ने बैठक में प्रवेश किया हम सब को हेल्लो बोल कर चाय सर्व करने लगी हम सब जैसे उसे देख कर ठगे से बैठे हुए थे | लड़की लगा फैशन परेड में आई हो चेहरे से लगा अभी किसी पार्लर से आई हो | दोनों हाथो के नाख़ून तराशे हुए पैरो का भी वही नज़ारा था | लड़की के पिता ने अपनी बेटी कि तारीफ़ में कहा ये हमारी बेटी बड़े लाड़-प्यार में पली है मम्मी जी ने कहा जी लग रहा है ये सुनते ही हमारी हँसी निकल आई 🙂 सब कि नजर हम पर थी अपने को बचाने के लिए जल्दी से हमने एक सवाल लड़की कि तरफ दागा पढ़ रही हो …………….जी अभी B .A में एडमिशन लिया है | अंकल ने जो उम्र बताई थी उस हिसाब से तो पोस्ट ग्रेजुएशन हो जाना चाहिए था या हो रहा होता हमने फिर दूसरा सवाल कर डाला +2 कब किया था ……………….पांच साल पहले इतना लम्बा गैप क्यूँ वो पापा ने कहा ग्रेजुएशन कर लो तो कर रही हूँ गुड अच्छा किया अब बारी सवाल करने कि मम्मी की थी बेटा आप के शौक क्या क्या है जी कुछ नहीं सभी कि कुछ पसंद होती है आप कि भी होगी अच्छा ये बताओ इन पांच सालो में जब आप पढ़ नहीं रही थी तो क्या करती थी कुछ नहीं बस टी.वी. देखना पसंद है और म्यूजिक का गुड संगीत कि ज्यादा जानकारी नहीं है फिर भी संगीत मुझे भी पसंद है जो दिल को शुकून दे कानो में रस घोले…………. तो हमने पूछ लिया क्या सुनना पसंद करती हो आप जी एडम, रैआना मैडोना शकीरा को सुनती हूँ आप भी सुनती है इनको ………………….हाँ थोड़ा बहुत… आप कि पसंद क्या है मैं तो जगजीत गुलाम अली रफ़ी कैलाश नुसरत साहब इनको ही सुनती हूँ ओह्ह्ह क्यूँ क्या हुआ नहीं थोडा सा बोरिंग है ये सब मेरे लिए मैं बस मुस्कुरा भर गयी बेटा खाना तो बनाना आता होगा माँ ने डरते डरते पूछ ही लिया कैसा बेतुका सवाल किया था माँ ने मगर अब किया भी क्या जा सकता था जिस जवाब की उम्मीद थी वो ही जवाब मिला इस बार जवाब लड़की कि माँ ने दिया अरे बहनजी सबसे छोटी है जरा लाड प्यार में पली है हमें कौन सा खाना बनाना आता था शादी के बाद सब सीख गए थे आप गाइड करेंगी तो ये भी सीख जएगी हाँ हाँ क्यूँ नहीं जाओ बेटी चाय के बर्तन ले जाओ माँ ने हमारे सवालो से तंग आ कर बेटी को वहां से जाने को कह दिया अच्छा अब हम को भी इजाजद दीजिये अरे बैठिये न बात ही कहाँ हो पाई आप शादी कैसी चाहते है लड़की के पापा ने पूछा सादगी पसंद लोग है तामझाम नहीं ये अंकल ने कहा जो मिलवाने लाये थे तभी माँ ने कहा शादी के विषय में बाद में बात करते है आप जन्मपत्री दे दीजिये मिलवा के आप को सूचित कर देंगे बस अब चलते है अरे ऐसे कैसे बिना खाना खाए तो जाने नहीं देंगे भाई साहब रिश्ता पक्का हो जाये तो खाना पीना सब होगा अभी आप बस इजाजद दीजिये पापा ने कहा अरे लड़की के पिता ने कहा आप लड़के वाले हो ऐसे कैसे बिना खाए जाने देंगे तकल्लुफ़ रहने दीजिये खाना भी खा लेंगे फिर कभी बस अब चलते है हम सब उठ गए और उन से विदा लेकर घर को बुधु वापस आये हमारा तो हँस हँस के बुरा हाल था मगर माँ का गुस्सा सातवे आसमां में था | एक लड़की घर जोड़ती है उसके संस्कार से ही मकान घर बनता है | मगर यहाँ तो कुछ ऐसा था कि खैर जिस गली जाना नहीं तो उस विषय में अब और कुछ कहना सही नहीं ये हमारा पहला तजुर्बा था | भगवान करे कि आख़िरी ही हो मिशन अभी जारी है ……………… इस तज़ुर्बे को पोस्ट करने में थोड़ा वक़्त लग गया | खुशख़बरी ये है कि भैय्या कि शादी नवम्बर कि ६ तारीख को है इस वक़्त मैं वहीँ पर व्यस्त हूँ | कुछ खट्टे- मीठे अनुभव यहाँ भी हुए है जिसको कि मैं जल्द ही कलमबद्ध कर के आप सब के साथ बाटूंगी |
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