पहचान
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हौसला है गर तुझ में तो उसको इस तरह आजमा लेना
रोता हो गर कोई अंजान भी तो दामन अपना थमा देना
गूंजती है किसीके दिल में अरमानो की शहनाई
वो नहीं उसका जारा ये सच्चाई उसे बता देना
सियासतदाँ ने बेच दी है आबरू मुल्क की
खुदा हर घर में भगत, जैसी औलादें देना
नापाक इरादे है सीमा पे दुश्मनों के
बेटो के सिर पर कफ़न फिर सजा देना
गुमान बहुत है और है बहुत वो मगरूर भी
कोई तो उसको सच का आइना दिखा देना
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