Menu
blogid : 3085 postid : 600771

बेबस हिंदी

पहचान
पहचान
  • 56 Posts
  • 1643 Comments

मैं घर की बेटी
घर में ही परायी हो गयी
तू विदेश से आई
और घर भर की प्यारी हो गयी
एक वो समय भी था
मेरी बोली में सब वारे वारे जाते थे
मुझ पर गर्व था सबको इतना
गर्व से फूले नहीं समाते थे
गाँव देहात मेरा अपना अंगना था
शहर में भी रिश्ता जन्मो का था
मैं सीधी सरल और मीठी कहलाती थी
कोई दो बोल, बोल देतो उसको हो जाती थी
बाबा हिमालय की गोद में खेली
भारत माता की दुलारी थी
उत्तर से पूरब तक सबकी प्यारी थी
समय ने देखो कैसी करवट ली
अंग्रेजी का अधिकार हो गया है
मेरा ही घर आंगन मुझसे
अंजना बेगाना हो गया है
पूछा उसको जाता है
जिसको अंग्रेजी आती है
हिंदी तो कोने में खड़ी
चुपके चुपके नीर बहाती है
पहले आदर सत्कार होता था मेरा
अब दुत्कार दिया जाता है
विदेशी संस्कृति से प्रेरित हो के
एक उपकार मेरे उपर भी कर दिया है
अंग्रेजी ने साल का एक दिन
मेरे नाम सुरक्षित कर दिया है
साल में एक बार मेरा जन्मदिन
फिर भी बड़े धूम धाम से मनाया जाता है
१४ सितम्बर आते ही, हिंदी पखवाड़े में
मुझ को भी याद कर लिया जाता है

कैसी विडम्बना है ये मेरी कैसी बेबसी
अपने ही घर में हो गयी मैं परायी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to jlsinghCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh